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गुरुवार, 21 अक्टूबर 2010

पीर पहाड़- "बाबा हजरत जीतनशाह रहमतुल्लाअलेह"

कटिहार जिले के मनिहारी प्रखंड में अवस्थित पीर पहाड़ पर एतिहासिक "बाबा हजरत जीतनशाह रहमतुल्लाअलेह" का मजार स्थित है! यह मनिहारी रेलवे स्टेशन से लगभग

कटिहार जिले के मनिहारी प्रखंड में अवस्थित पीर पहाड़ पर एतिहासिक "बाबा हजरत जीतनशाह रहमतुल्लाअलेह" का मजार स्थित है! यह मनिहारी रेलवे स्टेशन से लगभग 50 मी०  की दुरी पर स्तिथ है! लगभग 60 फिट ऊँचे इस एतिहासिक पहाड़ पर सन 1338 ई० में पीर मजार के भवन का निर्माण कराया गया! ऐसा माना जाता है कि, मनिहारी निवासी स्व० अतुल मुखर्जी ने यहाँ आकर कुछ मन्नतें मांगी थी! उन्होंने कहा था कि, यदि मेरी मुराद पूरी हो जाएगी तो मैं बाबा के मजार पर भवन का निर्माण प्रशंतापुर्वक करवाऊंगा! बाबा कि महिमा अपरमपार थी उनकी मुरादें पूरी हो गयी, तो उन्होंने अपने कथनानुसार सन 1338  ई० भवन का निर्माण पीर पहाड़ पर करवाया, जो मनिहारी के इतिहास में एक नया अध्याय जुड़ गया! तभी से लेकर आज तक लोग यहाँ आते हैं और अपनी मन्नतें मांगते हैं!  एक रस्म के अनुसार यहाँ आनेवाले पत्थर के टुकड़े को कपडे से बांध कर अपनी मन्नतें मांगतें हैं और जब उनकी मुराद पूरी होती है तो वो पुनः आतें हैं और प्रसाद,चादर इत्यादि चढातें है! यहाँ के सेवक(खादिम ) मो० सफिउद्दीन  हैं, जो यहाँ के देख-रेख करतें हैं! राष्ट्रिय सम विकाश योजना से पीर मजार पर प्रशाल, सीढ़ी एवं सुरक्षात्मक  कार्य 07-11-2010 को संपन्न हुआ! 
            इस मजार  पर हर जाति, हर मजहब के लोग सालों भर आते रहतें हैं! इस मजार सरीफ में हर वर्ष सालाना उर्स मुबारक 25 सव्वल को मनाया जाता है, जिसमे कव्वाली और जलसा का भी आयोजन होता है! उत्तरी बिहार के सबसे ऊँचा इस पहाड़ पर प्राकृतिक संपदा से परिपूर्ण अनेक पेड़ हैं ! यहाँ अधिकतर इमली, आम, और अनेक प्रकार के जड़ी-बूटियों के पोधें हैं ! इसके पीछे लगभग 40 मी० दुरी से गंगा नदी बहती है! सावन के महीने में "बाबा हजरत जीतनशाह रहमतुल्लाअलेह" के मजार को गंगा नदी छु कर गुजरती है, जो इसके सुन्दरता को और बढ़ा देती  है! पीर मजार के पीछे निचे में गुफा जैसा बना हुआ है, जिसमे से चुना पत्थर खल्ली निकलता था! पीर मजार के सामने एक कुआं है, उस कुआं का पानी जैसे मुख में लेतें हैं पानी मीठा होने के कारण मन को शांति मिलती है! इसके सटे हुए बी०पी०एस०पी० उच्च विद्यालय स्थित है !  
                                                      
                                                                                                     टिंकू कुमार चौधरी 
                                                                                                       लेखन सहयोगी   
                                                                         प्रदीप,गोविन्द,उत्तम पासवान एवं गोपाल जयसवाल
                                         









Welcome To Manihari

Author & Editor

Tinku Kumar Choudhary.

6 Comments:

  1. Thanks................. Maine aapko pirpahad ke baare me likhne kaha tha aur aapne likha.

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  2. SUNDAR LEKHAN. BAHOOT HI ACHHI PRAYAASH.
    SUMAN

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  3. M.d Masood Aalam(mirchaibaari, katihar)16 मार्च 2011 को 10:27 pm बजे

    बहूत खूब मनिहारी की शान तो है ही पीड पहाड़ यह तो सभी जानते हैं लेकिन वहां के साफ़ सफाई पर कोई ध्यान देता है की नहीं | इसपर कभी आपलोगों ने विचार किया है |इधर हाल में ही मैवहां गया था लेकिन वहां का हालत देखकर लगता है की किसी का भी इसपर ध्यान नहीं है |

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  4. waah Bahoot achha aapne Mnaihari ke baare me likha haii......

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